BNS Section 25 in Hindi: कानून के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बिना किसी आपराधिक मंशा के किसी अन्य को चोट पहुँचाने की स्वीकृति देता है, तो क्या यह वैध होगा? भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 25 इस सवाल का उत्तर देती है।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 25 की परिभाषा
BNS की धारा 25, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 87 के समान है। यह बताती है कि यदि दो वयस्क किसी विशेष कार्य के लिए सहमति देते हैं, जिसमें:
- कोई आपराधिक मंशा नहीं हो।
- कोई गंभीर क्षति या मृत्यु का इरादा न हो।
- किसी खेल, प्रतियोगिता या व्यायाम से संबंधित हो।
तो, उस कार्य के दौरान यदि किसी को हल्की चोट लगती है, तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा और आरोपी को बचाव मिल सकता है।
महत्वपूर्ण नोट: यदि किसी कार्य में मृत्यु या गंभीर चोट का खतरा हो और व्यक्ति ने स्वेच्छा से इसमें भाग लिया हो, तो उसे BNS धारा 25 के तहत छूट नहीं मिलेगी।
BNS Section 25 in Hindi खेलकूद से जुड़ा प्रावधान
कुश्ती, मुक्केबाजी, बॉक्सिंग, मल्लयुद्ध जैसे खेलों के दौरान खिलाड़ी एक-दूसरे को चोट पहुंचाते हैं। यह चोटें जानबूझकर नहीं दी जातीं, बल्कि खेल के स्वाभाविक परिणाम होते हैं। इसलिए, ऐसे मामलों में BNS धारा 25 का बचाव लिया जा सकता है।
खेल का नाम | चोट लगने की संभावना | कानूनी बचाव (BNS 25) |
---|---|---|
कुश्ती | मध्यम | ✅ उपलब्ध |
मुक्केबाजी | अधिक | ✅ उपलब्ध |
कबड्डी | हल्का | ✅ उपलब्ध |
पार्कौर | गंभीर | ❌ नहीं |
BNS Section 25 in Hindi Details
हरपाल सिंह बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य मामला
- इस केस में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यौन अपराधों में पीड़िता की सहमति आरोपी के लिए बचाव बन सकती है।
- यदि पीड़िता 18 वर्ष से कम उम्र की है, तो उसकी सहमति अमान्य होगी।
- इस स्थिति में आरोपी को पूरी तरह दोषी ठहराया जाएगा।
निष्कर्ष: कानून केवल उन्हीं मामलों में सहमति को वैध मानता है, जहाँ किसी को गंभीर नुकसान न हो।
स्वीकृति के बावजूद अपराध कब बनेगा?
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसा कार्य करता है जिससे गंभीर चोट या मृत्यु हो सकती है, तो वह BNS धारा 25 के अंतर्गत बचाव नहीं ले सकता।
उदाहरण:
- स्वीकृति के साथ वैध कार्य: बॉक्सिंग मैच में खिलाड़ियों द्वारा एक-दूसरे को पंच मारना।
- स्वीकृति के बावजूद अपराध: किसी व्यक्ति की स्वीकृति से उसे चाकू मारना।

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BNS Section 25 in Hindi का दायरा और सीमाएँ
बचाव प्राप्त करने वाले मामले | बचाव न मिलने वाले मामले |
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खेल प्रतियोगिताएँ | जानबूझकर गंभीर चोट देना |
व्यायाम और स्टंट | आत्महत्या के लिए प्रेरित करना |
स्वयं की स्वीकृति से जोखिम उठाना | 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति की सहमति |
निष्कर्ष
BNS धारा 25 का उद्देश्य निर्दोष व्यक्तियों को अपराधी बनने से बचाना है। यह धारा सहमति-आधारित कार्यों में सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन गंभीर क्षति या मृत्यु की स्थिति में कोई भी व्यक्ति इस धारा के तहत छूट नहीं पा सकता।