BNS Section 24 in Hindi – नशे की हालत में किए गए अपराधों को कानून अलग तरीके से देखता है। अगर किसी व्यक्ति को जबरदस्ती नशा कराया जाए और वह अपराध करे, तो उसे BNS धारा 24 के तहत सुरक्षा मिल सकती है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से नशा करता है और अपराध करता है, तो वह क्षमा योग्य नहीं होगा। इस लेख में हम भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 24 को विस्तार से समझेंगे।
BNS धारा 24: BNS Section 24 in Hindi
BNS की धारा 24, IPC की धारा 86 की जगह लागू की गई है। यह धारा स्पष्ट करती है कि:
- स्वेच्छा से नशा करने वाला व्यक्ति अगर कोई अपराध करता है, तो उसे उसी तरह दंडित किया जाएगा जैसे उसने नशा किए बिना अपराध किया हो।
- मजबूरी में नशा कराया गया हो और व्यक्ति को अपने कार्यों की जानकारी न हो, तब उसे कानूनी छूट मिल सकती है।
- यदि अपराध करने के लिए विशेष ज्ञान या इरादा आवश्यक हो, तो नशे में धुत्त व्यक्ति को ऐसे ही देखा जाएगा जैसे उसे सामान्य स्थिति में ज्ञान होता।
प्रावधान | स्वेच्छा से नशा | मजबूरी में नशा |
---|---|---|
अपराध किया | हां | हां |
अपराध की जिम्मेदारी | पूरी तरह आरोपी पर | कानूनी छूट मिल सकती है |
सजा | पूरी सजा दी जाएगी | छूट या कम सजा संभव |
कानूनी सुरक्षा | नहीं | संभव |
नशे में अपराध के लिए सजा: सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले
केस: नगा सिन गेल बनाम राज्य
इस मामले में आरोपी ने अत्यधिक शराब पी थी। नशे में वह तलवार लेकर निकला और राहगीर को मार दिया। अदालत ने धारा 86 (अब BNS धारा 24) के तहत हत्या का दोषी ठहराया और कहा कि नशे की स्थिति सजा में राहत नहीं दिला सकती।
दूसरा उदाहरण
एक व्यक्ति नशे में अपने घर की जगह पड़ोसी के घर चला गया। घर के मालिक ने उसे अवैध रूप से घुसने वाला समझकर पीटा। इस मामले में आरोपी पर गृह अतिचार (धारा 441) और प्रहार (धारा 351) का अपराध दर्ज हुआ। यह साबित करता है कि नशे की हालत कानूनी जिम्मेदारी से नहीं बचा सकती।
नशे में किए गए अपराध और विशेष इरादा
अगर कोई अपराध तब तक अपराध नहीं माना जाता जब तक वह विशेष इरादे या ज्ञान के साथ न किया जाए, तो नशे में व्यक्ति को भी ऐसे ही देखा जाएगा जैसे वह पूरी तरह होश में था। केवल नशे की दलील देकर सजा से बचा नहीं जा सकता।

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निष्कर्ष – BNS Section 24 in Hindi
BNS धारा 24 यह स्पष्ट करती है कि स्वेच्छा से नशा करना और अपराध करना माफ नहीं किया जा सकता। कानून इसे पूर्वनियोजित अपराध मानता है। अगर किसी को मजबूरन नशा कराया गया हो, तो न्यायालय मामले को अलग दृष्टिकोण से देख सकता है। यह धारा अपराधियों को नशे का बहाना बनाकर बचने से रोकती है।