BNS Section 23 in Hindi : भारत में अपराधों की सजा का निर्धारण कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें आरोपी की मानसिक स्थिति भी एक अहम भूमिका निभाती है। क्या किसी व्यक्ति को नशे की हालत में किए गए अपराध के लिए सजा मिलेगी या क्षमा? भारतीय न्याय संहिता की धारा 23 इसे स्पष्ट करती है।
नशे की हालत में अपराध – BNS Section 23 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता की धारा 23, नशे की अवस्था को विशेष रूप से संदर्भित करती है। अगर किसी व्यक्ति को जबरदस्ती नशा करवा दिया गया है, और वह नशे में कोई अपराध करता है, तो इसे क्षमा योग्य माना जा सकता है।
यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं:
- नशे को जबरदस्ती किया गया हो।
- आरोपी ने बिना किसी पूर्व इरादे के अपराध किया हो।
यानी, अगर व्यक्ति ने नशे की हालत में अपराध किया है, लेकिन उसने पहले से कोई अपराध करने की योजना नहीं बनाई थी, तो उसे अपराध से मुक्त किया जा सकता है।
नशे में किए गए अपराध का उदाहरण BNS Section 23 in Hindi
एक प्रमुख मामला “डायरेक्टर ऑफ पब्लिक प्रॉसिक्यूशन बनाम मेगे स्वाकी” में सामने आया था। इसमें आरोपी ने नशे में एक पुलिस कांस्टेबल पर हमला किया और उसे शारीरिक चोट पहुँचाई। आरोपी ने दावा किया कि नशे में होने के कारण उसे घटना का कोई भी स्मरण नहीं था। हालांकि, न्यायधीश ने इस दावे को स्वीकार नहीं किया और कहा कि स्वेच्छा से नशा करना, अपराध के बचाव के रूप में मान्य नहीं किया जा सकता। परिणामस्वरूप, आरोपी को दोषी ठहराया गया और उसे सजा दी गई।
क्या नशे में अपराध करने के लिए सजा है?
अगर नशा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा जबरदस्ती किया गया है और इस वजह से अपराध हुआ है, तो ऐसे मामले में आरोपी को राहत मिल सकती है। परंतु, अगर आरोपी ने जानबूझकर नशा किया और फिर अपराध किया, तो उसे सजा का सामना करना पड़ेगा।
नशे में अपराध करने वाले व्यक्ति के अधिकार
भारतीय न्याय संहिता के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति नशे की हालत में अपनी हरकतों का सही-गलत मूल्यांकन करने की स्थिति में नहीं है, तो उसका कार्य अपराध नहीं माना जाएगा। यह उस स्थिति में मान्य है, जब नशा उसे उसकी जानकारी के बिना या बिना उसकी इच्छा के दिया गया हो।
नशे में अपराध करने के लिए सजा की स्थिति:
स्थिति | नतीजा |
---|---|
जबरदस्ती नशा कराया गया | अपराध क्षमा योग्य |
स्वेच्छा से नशा किया | अपराध क्षमा योग्य नहीं |
निष्कर्ष – BNS Section 23 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता की धारा 23 इस बात को स्पष्ट करती है कि नशे की स्थिति में किए गए अपराध के लिए आरोपी को क्षमा मिल सकता है, बशर्ते उसने नशा करने का निर्णय स्वेच्छा से न लिया हो। हालांकि, अगर आरोपी ने जानबूझकर नशा किया है और अपराध किया है, तो सजा मिलना तय है।

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References
- Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 – Legislative Department, Ministry of Law and Justice
- Mental Healthcare Act, 2017 – National Institute of Mental Health and Neurosciences (NIMHANS)
- Supreme Court of India Judgments – Supreme Court of India Official Website