भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 19 (BNS Section 19 in Hindi) उन स्थितियों से संबंधित है जब किसी व्यक्ति का कार्य हानि पहुँचाने वाला हो सकता है, लेकिन उसका उद्देश्य अपराध करना नहीं होता। ऐसे कार्य अक्सर किसी बड़े खतरे को टालने के लिए किए जाते हैं। इस धारा के अंतर्गत ऐसे मामलों में कानूनी सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
BNS धारा 19 बनाम IPC धारा 81
बीएनएस की धारा 19 ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 81 का स्थान लिया है। दोनों धाराएं समान स्थिति को संबोधित करती हैं, लेकिन बीएनएस धारा 19 को और अधिक स्पष्ट और सरल बनाया गया है।
BNS धारा 19: सरल शब्दों में
- अच्छी मंशा: कार्य किसी बड़े खतरे को रोकने के लिए किया गया हो।
- कोई आपराधिक उद्देश्य नहीं: हानि पहुँचाने की योजना नहीं होती।
- तेज़ निर्णय: स्थिति आपातकालीन हो सकती है जिसमें त्वरित निर्णय लेना आवश्यक है।
- कानूनी सुरक्षा: यदि कार्य उचित हो तो कानून सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
- हानि की भरपाई: कार्य से हुई क्षति के लिए व्यक्ति जिम्मेदार हो सकता है।
उद्देश्य – BNS Section 19 in Hindi
इस धारा का प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आपातकालीन परिस्थितियों में लोगों को निर्णय लेने के लिए कानूनी संरक्षण मिले। यह धारा उन कार्यों को अपराध के दायरे से बाहर रखती है जो बुरी मंशा से नहीं किए गए हों।

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प्रमुख बिंदु (Table Format)
मुख्य तत्व | व्याख्या |
---|---|
मंशा | अच्छा उद्देश्य, बिना आपराधिक सोच के |
स्थिति | आपातकालीन, त्वरित निर्णय आवश्यक |
कानूनी सुरक्षा | उचित कार्य पर कानूनी संरक्षण |
हानि की भरपाई | क्षति के लिए ज़िम्मेदारी हो सकती है |
बीएनएस धारा 19 के उदाहरण
- जहाज़ के कप्तान का निर्णय: एक जहाज़ का कप्तान बिना किसी गलती के ऐसी स्थिति में फंस जाता है कि दुर्घटना से बचने के लिए उसे किसी नाव को नुकसान पहुँचाना पड़ता है।
- आग लगने की स्थिति: आग को फैलने से रोकने के लिए कुछ घरों को गिराना पड़ता है।
What is BNS?
बीएनएस, भारतीय न्याय संहिता, एक नया कानूनी ढांचा है जो भारतीय दंड संहिता (IPC) और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) को सरल और आधुनिक बनाता है। इसके अंतर्गत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:
- अपराधों की नई परिभाषाएँ
- दंड में संशोधन
- न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता
निष्कर्ष
बीएनएस धारा 19 कानूनी व्यवस्था को और अधिक मानवीय बनाती है। यह सुनिश्चित करती है कि आपातकालीन परिस्थितियों में उचित कार्य करने वाले व्यक्ति पर अन्यायपूर्ण मुकदमा न चलाया जाए।