BNS Section 18 in Hindi – बीएनएस (BNS) एक व्यापक कानूनी संहिता है, जो विभिन्न अपराधों और उनके दंड को परिभाषित करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 18 क्या कहती है? अगर नहीं, तो इस लेख में हम आपको विस्तार से समझाएंगे।
बीएनएस धारा 18 का संक्षिप्त विवरण
बीएनएस धारा 18 स्पष्ट करती है कि कोई भी कार्य अपराध नहीं माना जाएगा यदि वह दुर्घटनावश या दुर्भाग्यवश हुआ हो, बशर्ते कि:
- कोई आपराधिक इरादा या ज्ञान न हो।
- कार्य वैध हो।
- कार्य वैध तरीकों से और उचित सावधानी के साथ किया गया हो।
यदि कोई व्यक्ति किसी कानूनी कार्य को सावधानीपूर्वक करता है, लेकिन फिर भी कोई अनहोनी घटना घट जाती है, तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा।
बीएनएस धारा 18 के तहत सुरक्षा – BNS Section 18 in Hindi
धारा | मुख्य प्रावधान |
---|---|
BNS Section 18 | किसी वैध कार्य को करते समय दुर्घटनावश कोई हानि होती है, तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा। |
शर्तें | वैध कार्य होना चाहिए, उचित सावधानी बरती जानी चाहिए, कोई आपराधिक इरादा नहीं होना चाहिए। |
उदाहरण से समझें
- लकड़ी काटने के दौरान दुर्घटना
- एक बढ़ई कुल्हाड़ी से लकड़ी काट रहा था।
- कुल्हाड़ी का सिरा अचानक निकलकर पास खड़े व्यक्ति को लग जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है।
- यदि बढ़ई ने सावधानी बरती थी, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।
- वाहन चलाते समय हादसा
- एक व्यक्ति यातायात नियमों का पालन करते हुए गाड़ी चला रहा था।
- अचानक कोई राहगीर सामने आ जाता है और दुर्घटना हो जाती है।
- यदि चालक ने सावधानी बरती थी, तो उसे अपराधी नहीं माना जाएगा।
Also Read: BNS Section 17: Justified Actions and Legal Protection
धारा 18 का उद्देश्य – BNS Section 18 in Hindi

इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि:
- किसी निर्दोष व्यक्ति को दंडित न किया जाए।
- जो कार्य बिना दुर्भावना और आपराधिक इरादे के हुआ हो, उसे अपराध न माना जाए।
- लोगों को वैध कार्य करने से डर न लगे।
महत्वपूर्ण बिंदु
- अपराध केवल तब होता है जब कार्य आपराधिक इरादे से किया गया हो।
- यदि उचित सावधानी के बावजूद दुर्घटना होती है, तो व्यक्ति अपराधी नहीं माना जाएगा।
- धारा 18 निर्दोष लोगों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है।
निष्कर्ष – BNS Section 18 in Hindi
बीएनएस धारा 18 निर्दोष व्यक्तियों की रक्षा करती है जो किसी वैध कार्य को करते समय दुर्घटनावश किसी हानि का कारण बन जाते हैं। यह प्रावधान सावधानीपूर्वक किए गए कार्यों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखता है, जिससे न्याय सुनिश्चित किया जा सके।