क्या हो, यदि कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट किसी निर्दोष को दंडित कर दे? क्या उसके इस निर्णय के लिए उसे दंडित किया जाएगा? BNS Section 15 in Hindi इस जटिल प्रश्न का समाधान देता है।
BNS Section 15 in Hindi का परिचय
भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 15 न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों को उनके न्यायिक कार्यों के लिए विशेष सुरक्षा प्रदान करती है। यदि कोई निर्णय साक्ष्यों और कानून के अनुसार लिया गया हो, भले ही वह त्रुटिपूर्ण हो, इस धारा के अंतर्गत न्यायाधीश को अपराधी नहीं ठहराया जा सकता।
मजिस्ट्रेट के लिए सुरक्षा का दायरा
मुख्य शर्तें:
- निर्णय विधि के अनुसार होना चाहिए।
- साक्ष्यों का मूल्यांकन ईमानदारी से करना आवश्यक है।
- निर्णय केवल न्यायिक कार्यवाही के दौरान लिया जाना चाहिए।
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न्यायाधीश का दायित्व: निर्दोष को दंडित करने पर
- यदि साक्ष्यों के आधार पर किसी निर्दोष को दोषी ठहराया जाए, लेकिन निर्णय न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा हो, तो न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा।
- यह सुरक्षा सिविल न्यायालय के मजिस्ट्रेटों पर लागू नहीं होती। उनके लिए न्यायिक अधिकारी संरक्षण अधिनियम, 1850 प्रभावी है।

न्यायिक शक्ति का सही उपयोग
धारा 15 क्या कहती है?
- न्यायाधीश किसी भी ऐसी शक्ति का उपयोग कर सकता है जो उसे कानून द्वारा दी गई हो।
- यदि वह सद्भावना से विश्वास करता है कि उसे यह शक्ति प्राप्त है, तो उसके कार्य को अपराध नहीं माना जाएगा।
धारा | संरक्षण का दायरा | लागू क्षेत्र |
---|---|---|
BNS Section 15 | न्यायिक कार्यवाही के दौरान लिए गए निर्णय | भारतीय न्यायालय |
संरक्षण अधिनियम | सिविल न्यायालय के मजिस्ट्रेट के लिए लागू | सिविल न्यायालय |
महत्वपूर्ण बिंदु – BNS Section 15 in Hindi
- यह धारा न्यायाधीशों को डर और दवाब से मुक्त होकर निर्णय लेने में सहायक है।
- सद्भावना से लिए गए निर्णय, भले ही वे त्रुटिपूर्ण हों, न्यायाधीश को अपराधी नहीं बनाते।
- यह प्रावधान न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है।
निष्कर्ष
BNS Section 15 in Hindi न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों को उनकी जिम्मेदारियों को निडरता से निभाने का अवसर देता है। यह प्रावधान न्यायपालिका की शक्ति और स्वतंत्रता का प्रतीक है। लेकिन यह सुनिश्चित करना भी अनिवार्य है कि न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष और सटीक हो।