BNS Section 13 in Hindi – भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 13 एक कठोर प्रावधान है। यह उन मामलों में लागू होती है, जब कोई व्यक्ति पूर्व में दोषी ठहराया जा चुका हो और पुनः समान प्रकृति का अपराध करता है। यह धारा अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए बनाई गई है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
मुख्य विशेषताएं
विशेषता | विवरण |
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लागू अध्याय | अध्याय X और अध्याय XVII |
पूर्व सजा की अवधि | तीन वर्ष या उससे अधिक |
पुनः अपराध के लिए सजा | आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की सजा |
अपराध की प्रकृति | गंभीर और समान अपराध |
धारा 13 का सरल विवरण
धारा 13 उन मामलों में बढ़ी हुई सज़ा का प्रावधान करती है, जब किसी व्यक्ति को पहले अध्याय X (लोक सेवकों के खिलाफ अपराध) या अध्याय XVII (संपत्ति से संबंधित अपराध) के तहत दोषी ठहराया गया हो। यदि वह व्यक्ति पुनः समान अपराध करता है, तो उसे कठोर सज़ा दी जाती है।
उदाहरण से समझें
मान लीजिए किसी व्यक्ति को अध्याय X के तहत तीन वर्षों की सजा सुनाई गई। इसके बाद, उसने अध्याय XVII के तहत कोई अपराध किया। ऐसे मामलों में, उस व्यक्ति को आजीवन कारावास या दस साल तक के कारावास की सजा हो सकती है।

प्रमुख प्रश्न और उत्तर
प्रश्न | उत्तर |
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धारा 13 किससे संबंधित है? | बढ़ी हुई सज़ा के प्रावधान से। |
यह किस अध्याय पर लागू होती है? | अध्याय X और XVII। |
पूर्व दोषसिद्धि की न्यूनतम अवधि क्या है? | तीन वर्ष। |
बाद के अपराधों की सजा क्या है? | आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक की सजा। |
धारा 13 का प्रभाव
यह प्रावधान अपराधियों को दोबारा अपराध करने से रोकने में सहायक है। इससे समाज में न्याय और अनुशासन की भावना उत्पन्न होती है। कठोर दंड अपराधियों के मन में डर पैदा करता है।
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सारांश
भारतीय न्याय संहिता की धारा 13 अपराधियों के लिए एक सख्त संदेश है। यदि कोई व्यक्ति पूर्व में दोषी ठहराया जा चुका है और फिर से अपराध करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। यह कानून समाज में अपराधों पर लगाम लगाने का प्रयास करता है।