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Section 10 of the BNS: Determining Punishment in Cases of Doubt

BNS Section 10 in Hindi

BNS Section 10 in Hindi – भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 10 विशेष रूप से उन मामलों से संबंधित है, जहां किसी व्यक्ति को कई अपराधों में से एक का दोषी पाया जाता है, लेकिन यह तय नहीं हो पाता कि वह किस अपराध का दोषी है। इस धारा का उद्देश्य न्याय प्रक्रिया को निष्पक्ष और मानवीय बनाना है।


सरल शब्दों में BNS धारा 10 का आशय

  • जब किसी व्यक्ति पर एक से अधिक अपराधों का आरोप हो और दोष सिद्ध हो जाए।
  • यदि यह स्पष्ट न हो कि वह किस अपराध का दोषी है, तो उसे उस अपराध के लिए दंडित किया जाएगा जिसके लिए सबसे कम सजा का प्रावधान है।
  • यह नियम केवल तब लागू होता है जब अलग-अलग अपराधों के लिए सजा का प्रावधान भिन्न हो।

धारा 10 की मुख्य विशेषताएं

विशेषताविवरण
संदेह की स्थिति में सजादोषी को न्यूनतम सजा का प्रावधान सुनिश्चित करता है।
न्याय में निष्पक्षताअपराधी को अत्यधिक दंड से बचाने के लिए लागू।
समान सजा का प्रावधानयदि सभी अपराधों के लिए सजा समान है, तो कोई भी सजा दी जा सकती है।
मानवीय दृष्टिकोणनिर्दोष साबित न हो पाने पर भी न्याय सुनिश्चित करता है।

एक उदाहरण से समझें

मान लीजिए, किसी व्यक्ति पर चोरी और धोखाधड़ी दोनों का आरोप है। यदि अदालत यह निर्धारित नहीं कर पाती कि उसने कौन सा अपराध किया है, तो उसे उस अपराध के लिए सजा दी जाएगी जिसके लिए न्यूनतम दंड है। उदाहरण के लिए:

अपराधअधिकतम सजा (वर्षों में)
चोरी3
धोखाधड़ी5

इस स्थिति में, दोषी को चोरी के लिए सजा मिलेगी, क्योंकि इसकी सजा कम है।

BNS Section 10 in Hindi
BNS Section 10 in Hindi

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धारा 10 का उद्देश्य

  • न्याय में संतुलन: यह सुनिश्चित करना कि दोषी को अन्यायपूर्ण तरीके से कठोर दंड न दिया जाए।
  • स्पष्टता का अभाव: जहां अपराध स्पष्ट नहीं हो, वहां न्यूनतम सजा का प्रावधान।
  • मानवीय दृष्टिकोण: निर्दोष या कम दोषी को अत्यधिक दंड से बचाना।

धारा 10 के अंतर्गत सजा का सारांश

स्थितिसजा का निर्धारण
सभी अपराधों की सजा समान हैकिसी एक अपराध के लिए सजा दी जाएगी।
सभी अपराधों की सजा भिन्न हैसबसे कम सजा वाले अपराध के लिए दंडित किया जाएगा।
अपराध तय नहीं हो पातान्यूनतम सजा का प्रावधान लागू होगा।

BNS Section 10 in Hindi

बीएनएस की धारा 10 न्याय की निष्पक्षता और मानवीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता देती है। यह सुनिश्चित करती है कि दोषी को संदेह का लाभ मिले और अत्यधिक दंड से बचाया जा सके। न्याय व्यवस्था में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है, खासकर उन मामलों में जहां स्पष्टता की कमी हो।

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